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तनाव को करें बाय-बाय

प्रमोद बत्रा

प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :159
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 7920
आईएसबीएन :9788173158940

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सुप्रसिद्ध मोटिवेशन गुरु प्रमोद बत्रा ने जो सूत्र बताए हैं, वे जीवन को हँसकर मुसकराते हुए जीने के मूलमंत्र हैं...

Tanav Ko Karen Bye-Bye - A Hindi Book - by Pramod Batra

तनाव साधारणतः आग, वस्तुतः उन दहकते अंगारों की तरह है, जो हमेशा दहकते रहते हैं। हम इस पर नियंत्रण करें, ताकि यह हमें नुकसान न पहुँचा सके। हम इस धधकती ज्वाला को हवा न दें, इसी में हमारी भलाई है।

तनाव का होना इस बात पर निर्भर नहीं करता कि आप युवा हैं या वृद्ध, लड़का हैं या लड़की, अमीर हैं या गरीब, साक्षर हैं या निरक्षर, सेवक हैं या स्वामी; और न ही तनाव इस बात पर निर्भर करता है कि आप कहाँ रहते हैं—न्यूयॉर्क में या नई दिल्ली में, छोटे शहर में या गाँव में, ऋषिकेश में या माउंड एवरेस्ट पर।

तनाव तन को खा जाता है। इसलिए स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है कि तनाव से दूर रहा जाए, उससे मुक्ति पाई जाए। सुप्रसिद्ध मोटिवेशन गुरु प्रमोद बत्रा ने जो सूत्र बताए हैं, वे जीवन को हँसकर मुसकराते हुए जीने के मूलमंत्र हैं। स्वयं में एक सकारात्मक भाव जगाइए; स्वयं को प्रोत्साहित कीजिए; सुविचारों का निर्माण कीजिए; दूसरों को बदलने से पहले खुद को बदलिए; गुस्से को अपना दास बनाइए; जो मिले, उसमें संतोष कीजिए; क्षमा करना सीखिए, आदि-आदि।
अगर आप उपरिलिखित गुरुमंत्र सीख गए तो इस पुस्तक का लेखन सफल होगा और आप तनाव को बाय-बाय कर पाएँगे।

(१)
सुविचारों और कर्मठता से तनाव को दूर करे


तनाव और असामान्य रक्तचाप का मुख्य कारण है–समस्याएँ। इसलिए यह बहुत ही तर्कसंगत बात है कि पहले हम अपनी समस्याओं को कम करें, तभी हम अपने तनाव और असामान्य रक्तचाप को कम करने के योग्य हो पाएँगे।
प्रासंगिक रूप से (संयोग से) हम अपनी समस्याओं से छुटकारा नहीं पा सकते, जब तक कि हम अंतिम यात्रा का निर्णय न लें–इसके बारे में अधिक विचार करना भी अपने आप में बहुत बड़ा तनाव है।

हम समस्याओं से क्यों घिरे हुए हैं ? अगर अनुमानतः कहा जाए तो एक-तिहाई समस्याएँ इसलिए हैं, क्योंकि हम जीवित और जोशीले हैं, दूसरी एक-तिहाई समस्याएँ हमारी स्वयं की पैदा की हुई हैं और शेष एक-तिहाई समस्याएँ हमारे लालच और इज्जत के कारण होती हैं।

अब अगर हमारे पास एक जादू की छड़ी होती तो हम अपनी समस्याओं को सुलझा लेते। हम एक ऐसी मूर्खतापूर्ण खोज कर रहे हैं, जो नहीं हो सकती।
तब क्या किया जाए ? खैर, मैं इन सबके बारे में नहीं जानता, परंतु मैं यह बता सकता हूँ कि मैं क्या करता हूँ।

एक बार फिर पढ़िए कि मैंने क्या कहा है और आप अनुभव करेंगे कि केवल जीवन ही सही समझ और समस्याओं को कम करने के योग्य हो पाएँगे। ऐसा आपको तत्काल नहीं, अपितु धीमी गति से करना है। नियमित रूप से एक-एक करके प्रत्येक समस्या को सावधानी तथा साधारण योजनाओं के द्वारा समाधान की ओर ले जाना है।

याद रखिए कि सर्वोत्तम नहीं बनना है, क्योंकि सर्वोत्तम उत्तम का शत्रु है, जबकि मूर्खतापूर्ण समस्याओं के समाधान के लिए दूसरा या तीसरा सर्वोत्तम समाधान पर्याप्त हो सकता है। आइए, मैं आपको अपना हाल का ही अनुभव बताता हूँ। मैं अपने बेटे और परिवार के साथ अमेरिका में ३६ दिनों का अवकाश बिताकर लौटा था। यह मेरी जिंदगी का पहला ही अवकाश था। लौटने पर मैंने अपने आपको हज़ारों समस्याओं से घिरे हुए पाया। प्रत्येक समस्या ने मुझे तनाव और खिंचाव ही दिया।

यहाँ मेरे परिवार में बीमारी और मौतें थीं, भुगतान करने के लिए बहुत से बिल थे, बकाया काम था, सूचना-पत्र थे, जिनके कारण मैं बहुत पिछड़ गया था। खैर, कई दिनों की स्तब्धता के बाद जल्दी ही मैंने अपनी मानसिक अस्थिरता का परित्याग कर दिया और एक समय में एक समस्या का समाधान करना आरंभ कर दिया। अपने बौद्धिक स्तर के अनुरूप मैंने अपने विचारों को योजनाबद्ध तरीके से, जिनका केवल एक भाग एक समय में पूरा होता हो, अपनी समस्याओं पर लागू किया। इस तरीके से मैं हर दिन दस से पंद्रह समस्याओं के समाधान करने के योग्य हो गया और एक ही महीने में मैंने अपना सारा पिछला कार्य समाप्त कर दिया। व्यक्तिगत रूप से–जब आपके लिए बहुत सारी समस्याएँ अत्यधिक तनाव या खिंचाव पैदा करें तो निम्नलिखित रूप से–जब आपके लिए बहुत सारी समस्याएँ अत्यधिक तनाव या खिंचाव पैदा करें तो निम्नलिखित उपाय करें।

किसी भी समस्या को हल करने का पहला कदम उस कार्य को शुरू करना है।
और आप निश्चित रूप से ऐसा करके तनाव को कम कर लेंगे।

१. सेचिए ऐसी स्थिति में ‘सोचना’ समस्याओं के समाधान हेतु बहुत ही उत्तम रास्ता हो सकता है। इससे ‘कौए और जग’ की कहानी याद करने में सहायता मिलती है। इसी तरह की दूसरी कहानियों और घटनाओं को याद कीजिए।

२. पूछिए, पूछिए, पूछिए। स्वयं अपने आप से और अन्य लोगों से पूछिए कि उन्होंने यह कार्य अच्छे तरीके से किस प्रकार किया ? शायद बहुत से कार्यों से कुछ प्राप्त न हो या फिर वह आपकी दूसरी गतिविधियों में सहायक बन जाए। मत भूलिए कि मूर्खतापूर्ण से भी आपको बुद्धिमत्तापूर्ण और सामान्य ज्ञान के उत्तर प्राप्त होंगे।

३. अब इसे कीजिए। कार्य को करना आरंभ कीजिए। इस बात को भूलिएगा नहीं कि समस्या के समाधान का प्रथम चरण आरंभ हो गया है। मैं इस बात से सहमत हूँ कि प्रथम चरण ही एक सबसे अधिक कठिन स्तर का है। परंतु इस चरण में पहुँचने के पश्चात् काम को टालते रहने की स्थिति स्वतः ही समाप्त हो जाती है–जो अपने आप में स्वयं ही एक समस्या है या इस तरह कहिए कि एक बीमारी है। निस्संदेह पहले अपनी समस्याओं की प्रथमिकता को मत भूलिए। वे व्यक्ति, जो दूसरों के प्रतिनिधित्व में ‘ग’ श्रेणी के कार्य करते हैं, परंतु वे जितना करते हैं उसका निरीक्षण-परीक्षण करना नहीं भूलते हैं।

यहाँ सदैव से ही किसी भी अंधकारमय स्थिति में एक सुनहरी आशा की किरण अवश्य फूटती है, जो आपकी समस्याओं को कम करती है तथा आपको अवसर का लाभ उठाने की प्रेरणा प्रदान करती है। प्रत्येक समस्या के लिए यहाँ अनगिनत समाधान हो सकते हैं और समाधान अवसरों की ओर संकेत करते हैं। कोलंबस को उसकी आशा की सुनहरी किरण संसार की नई खोज में दिखाई दी। वास्तव में तभी उसकी खोज की कोशिश ने भारत की ओर एक व्यापारिक कूच किया।

मेरे अपने प्रकरण में, मैं अंग्रेजी के एक शब्द ‘MISER’ की धारणा को अपनी समस्याएँ सुलझाने के लिए लागू करता हूँ। यदि अंग्रेजी के इस शब्द को अलग-अलग किया जाए तो यहाँ ‘MISER’ में ‘M’ का मतलब है MERGE, अर्थात् मिलना या लीन होना, ‘I’ का मतलब है ‘IMPROVE’, अर्थात् सुधार करना, ‘S’ का मतलब है ‘SIMPLEIFY’ अर्थात् सरल करना, ‘E’ का मतलब है ‘ELIMINATE’ अर्थात् समाप्त करना और ‘R’ का मतलब है ‘REDUCE’ अर्थात् कम करना। कुल मिलाकर यदि कहा जाए तो किसी भी तनावपूर्ण समस्या को तल्लीनता से सुधार के मार्ग पर चलते हुए सरल समाधानों के द्वारा कम करके ही समाप्त किया जा सकता है।

सदा अपनाइए
कं कटौती–आलतू–फालतू काररवाइयों में।
जू जुड़ाना–मिलती–जुलती क्रियाओं का।
सी सीधा–सरल तरीका जटिलता की जगह।

‘MISER’ शब्द वास्तव में अति उत्तम विचारधारा रूपी छलनी है, जो लोगों की कई समस्याओं को कम करने में सहयोग करती है। यह धारणा काम के दौरान या खाली समय में कभी भी लागू की जा सकती है। वास्तव में गृहिणियाँ इसे सफलतापूर्वक प्रयोग में ला सकती हैं।
मैं सुदृढ़ता से दुबारा आदेश देता हूँ कि आप ऐसा करें। अपना पहला कदम उठाएँ। मैं आपके अच्छे भाग्य की कामना करता हूँ।

(२)
मूर्खतापूर्ण प्रसन्नता को साधारण प्रसन्नता में बदलिए


जैसे-जैसे मेरी परिपक्वता बढ़ रही है, मैं सोचता हूँ कि मैं बुद्धिमान होता जा रहा हूँ। यह विचार इसलिए उदय हुए, क्योंकि मेरी धर्मपत्नी ने अकसर यह कहना शुरूकर दिया है कि–अपनी आयु तो देखो।

मैं सोचता हूँ कि अब मेरा जीवन बहुत अधिक केंद्रित होता जा रहा है। शायद बहुत कुछ ‘खट्टे अंगूरों’ की तरह, ‘घर के बुद्धू’ की तरह, ‘सुरंगीय कल्पना’ की तरह या इसी तरह का कुछ और। यही कारण है कि मैं तनाव, खुशी, आनंद और प्रसन्नता के विषय में बहुत अधिक सोचने लगा हूँ। शायद सच्चाई यह है कि अब लोगों के साथ मेरा संपर्क बहुत समीप का है–आँखों से आँखों का। और मैं बहुत सारे प्रश्न उनकी आँखों में देखता हूँ, जैसे मैं ऐसा क्यों सोचता हूँ...आखिर क्यों ?

वास्तविकता यह है कि मैं इस बारे में कुछ नहीं जानता ! मैं इन जटिल समस्याओं के उत्तर ढूँढ़ने में कोई रुचि भी नहीं लेता। मैं एक औसत बुद्धिवाला साधारण व्यक्ति हूँ, लेकिन मेरी एक दबी हुई इच्छा है कि मैं स्वयं खुश रहूँ, क्योंकि जब मैं खुश हूँ, तो दूसरों को भी खुश कर सकता हूँ। इसके अतिरिक्त मैं विश्वास करता हूँ कि जब मैं अपने निर्माता से मिलने ऊपर जाऊँगा तो मैं दुबारा आनंद-प्राप्ति के लिए और इस धरती पर पहले से अधिक खुशियाँ फैलाने के लिए वापस लौटना पसंद करूँगा।

मेरे द्वारा किए जा रहे अन्वेषण को मैं आपके साथ बाँटना चाहता हूँ, जिसमें हाल ही में एक तनाव कम करनेवाली खुशियों में नई स्पर्श रेखा ली है। आइए, वहाँ चलें।

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